Yug Purush

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8TH SEMESTER ! भाग- 93( New War-3)

"दांगी कौन..?? SP दांगी..???" मेरे मुँह से दांगी का नाम सुनते ही हमारी तरफ बढ़ रहे लौंडो मे एक ने पूछा

"Yep... आओ तुमलोग... ऐसे पेलेंगे दांगी अंकल ना की... तुम सबकी माँ -बहन एक हो जायेगी .."

"तू उसे कैसे जानता है..."अबकी वरुण ने सवाल किया, हमारी तरफ बढ़ रहे लड़के अब जहा थे, वही खड़े होकर एक दूसरे का मुँह ताकने लगे

"अक्सर शाम की चाय उन्ही के बंगलो पर पीता हूँ...यकीन ना हो तो जाकर किसी से भी पुछ लेना...या फिर लास्ट ईयर सिदार  के हाथ से ठुकाई होने वाले इस पांडू से पुछ  ले..."
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उस दिन कैंटीन  मे पक्का कोई लफडा हो जाता यदि मैने ऐन वक़्त पर एस.पी. का नाम ना लिया होता तो...एस.पी. का नाम सुनकर वो सब पीछे हट गये.. हालांकी गौतम ने कहा था की... वो सब मुझे पेले.. दांगी को उसका बाप देख लेगा... लेकिन लड़को कि हिम्मत नहीं हुई और गौतम वहा कैंटीन मे खड़े -खड़े सिर्फ हाथ माल्टा रह गया... इधर हम दोनों बड़े आराम से निकले....

अरुण मुझसे हमेशा पुछ्ता रहता था कि मैं ये सब कैसे सोच लेता हूँ...एक दम अचानक से ऐन मौके पर ऐसे धाँसू आइडियास मेरे भेजे मे कैसे आ जाते है....??? जिसका जवाब मैने उसे बस एक स्माइल देकर दिया लेकिन सच ये था कि ये सब सिचुयेशन्स मेरे दिमाग़ मे बहुत पहले से छप चुकी होती है ...मैं अपने मन से ही खुद को किसी परेशानी मे डाल कर उससे बाहर आने का तरीका ढूँढा करता था....और आज जो कुछ  हुआ ये तो बहुत नॉर्मल सी बात थी...यदि आज कैंटीन  मे 20 कि बजाय  यदि 50 लोग भी मुझे मारने के लिए आए होते तो मैं उन सबसे निपट लेता....आप चाहे तो मुझे एरोप्लेन से नीचे फेक दो या फिर बीच समुंदर मे शिप से नीचे उतार दे...मैं वहाँ भी आपको ज़िंदा रहने के काई तरीके बता सकता हूँ...क्यूंकी मैने ऐसी प्रॉब्लम्स मे खुद को कई  बार ख्वाब मे फसाया और निकाला है...जिसमे गूगल महाराज की भी बहुत बड़ी कृपा रही है....लेकिन मेरे द्वारा यूज़ किए गये टेक्नीक्स की कोई गॅरेंटी नही होती कि वो हमेशा फिट ही बैठेगी...क्या पता मेरी ही टेक्नीक कभी मेरी जान बचाने की बजाय मुझे ही जान से मार दे..... और ये सब parallel universe के concept पर based होता है... जहा एक प्लान काम ना करें, तो दूसरा प्लान और यदि दोनों काम ना करें तो तीसरा और यदि तीनो ना करें तो चौथा प्लान... हर सिचुएशन मे मेरे लिए तैयार होता है...
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"अरमान, चल इस पीरियड के बाद दारू पीते है...?"math वाली दम्मो रानी कि क्लास मे बोर होते हुए अरुण  मुझे कोचका

"वो वर्कशॉप का फ़ौजी,हमारे उपर मशीन चढ़ा देगा...यदि आज कॉपी चेक नही करवाई तो..."

"उसकी माँ की...... ....साले के एक -एक बॉडी पार्ट को  लेथ मशीन से काट दूँगा"

"चुप कर बे...एक तो ये दमयंती बोर कर रही है,उपर से तू और... तू जाकर कही और बैठ ना..."

"भाड़ मे जाए तू और तेरा वो फ़ौजी और तेरी माल दमयंती....अपुन तो दारू और दिव्या से ही खुश हूँ..."

"दमयंती.... मेरी माल..???🙄😳😵"
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"चल दारु पीने... नहीं तो दामयंती तेरी माल है मै जोर से चिल्ला दूंगा पूरी क्लास मे... वैसे भी मुंडा ख़राब है, कैंटीन के इंसिडेंट के बाद..."

अब मरता क्या ना करता... अरुण के साथ नहीं जाता तो दामयंती और प्रिंसिपल दोनों पेलते और यदि अरुण के साथ जाता तो वर्कशॉप वाले पेलते... मैने इन दोनों सिचुएशन का गहन अध्ययन किया, parallel universe का पूरा concept लगा दिया की इन दोनों मे से कौन सी राह मेरे लिए कम दर्दनायक होगी और फिर इस निष्कर्ष पर पंहुचा कि अरुण के साथ दारू पीने चला जाता हूँ... भाड़ मे जाये लेथ शॉप वाला... साला फेक फ़ौजी....

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"और ज़ोर लगा...अबे बक्चोद उल्टा क्यूँ धकेल रहा है...पीछे से धक्का दे...."अरुण रूम के बाहर किसी को गरियाते हुए कुछ  समझा रहा था....

"थका दिया बे तूने..."सौरभ अंदर आते हुए बोला....

तब मेरी नज़र रूम के अंदर अरुण और सौरभ द्वारा अभी-अभी घसीट कर लाए हुए आलमारी पर पड़ी...

"ये किसकी अलमारी चुरा के लाए हो बे... साले खाने का समान चुराने के लिए ताला नहीं तोड़ पाए तो आलमारी ही उड़ा दी...??"

"सौरभ की है..."कमर पर हाथ रखकर हान्फते हुए अरुण ने जवाब दिया....

"तो इसे यहाँ क्यूँ लाया है..."

"अब मैं भी इसी रूम मे रहूँगा..."इतना बोलकर सौरभ ने अरुण को उठाया और अपना बिस्तर उठा कर लाने के लिए अरुण को पकड़ के ले गया.....

"साले दोनो गे है...मुझे तो दोनो को पहली बार देखते ही शक़ हो गया था... छी..छी.. क्या हो गया है आज की युवा पीड़ी को... Gay, lesbian बनते जा रहे है और प्राउड अलग फील करते है... खैर, अपने को क्या... अपना true love तो ईशा जानेमन है..."
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"तूने अपना रूम चेंज क्यूँ किया...मतलब कि यहाँ ऑलरेडी दो थे और अब तीसरा....तू.."सौरभ का बेड जब मेरे बेड के बगल मे शिफ्ट हो गया तो मैने उससे पुछा...

"वो मेरा रूम पार्ट्नर लफडा करता है साला...रात को 10 बजे लाइट बंद करने को कहता है और बोलता है कि वो सुबह  4 बजे उठ कर पढ़ाई करेगा..इसलिए मेरी पढ़ाई जो थोड़ी-बहुत रात को होती है...वो नही हो पाती.... ऊपर से साला सुबह-सुबह उठकर लाइट जला देता है और ज़ोर-ज़ोर से रट्ता मारता है,इस वजह से मेरी नींद पूरी नही हो पाती..."

"अरमान...तेरे मोबाइल मे नेट चल रहा है ना..."अरुण अपने मोबाइल मे कुछ  देखते हुए बोला..

"हां..."

"ला दे...दिव्या ऑनलाइन है, अभी उसका मेस्सेज आया है..."

"लेकिन मैं पोर्न डाउनलोड कर रहा हूँ..."

"अबे pause मार उसको..."

डाउनलोडिंग रोक कर मैने मोबाइल अरुण को दिया और फिर आज कॉलेज मे जो पढ़ाया था उसपर एक नज़र मारी...इस बीच सौरभ अपना समान शिफ्ट करने मे और अरुण दिव्या से चटियाने मे बिजी हो गया ... पर पढ़ाई मे मेरा मन नहीं लगा और मै इसी इंतजार मे था की कब अरुण और दिव्या कि बात खत्म हो और मुझे मेरे मनोरजन का अस्त्र वापस मिले... लेकिन अरुण था की थमने का नाम ही नहीं ले रहा था.. इसलिए आधे घंटे बाद मुझे ही टोकना पड़ा...

"अबे यार, आधा घंटा तो हो गया है, अब तो मोबाइल दे... "

"रुक जा दो मिनिट...goodbye बोल देता हूँ....."
दिव्या को गुडबाय बोलने के बाद अरुण ने मोबाइल मुझे दिया और सौरभ को लेकर अपने मोबाइल मे नेटपैक डलवाने चला गया....

"मैं भी थोड़ी देर फ़ेसबुक चलाता हूँ क्या पता ऐश  ऑनलाइन मिल जाए..."

इसी उच्च विचार के साथ मैने फ़ेसबुक खोला तो देखा की अरुण की id अब भी लॉग इन थी , वो लोग आउट करना भूल गया था...दिव्या और अरुण क्या बात करते है ये जानने के लिए मैने उनके मेसेजस पढ़ने का सोचा....

दिव्या- हाई..

अरुण- हेलो डियर...

दिव्या- हाउ आर यू ?

अरुण- अपुन रैपचिक... n...You..??

दिव्या- तुमने मेरा न्यू स्टेटस लाइक नही किया ?

अरुण- अभी देखा नही...

दिव्या- कॉमेंट भी कर देना...2-3 और फिर 2-3 comment  कल सुबह करना और फिर ऐसे ही 2-3 comment शाम को.. ऐसा दो -तीन दिन तक करना ताकि मेरे पोस्ट मे इतने सारे comment देख के कॉलेज की बाकी लड़किया जल -भुन जाए कि ये दिव्या तो उनसे ज्यादा पॉपुलर है..और तुम होश्याल मे रहते हो ना..तो अपने दोस्तों से भी comment करवाना... Especially, उस Arrogant Arman से...

अरुण- ठीक है

दिव्या- आज जो ड्रेस पहन कर मैं कॉलेज आई थी वो कैसी थी...??

अरुण- एक दम झक्कास....और सूनाओ क्या चल रहा है...

दिव्या- कुछ  नही... और मेरा ट्विटर अकाउंट तुमने शेयर नबी किया क्या अपने दोस्तों के बीच... मेरे followers अभी तक नहीं बढे और अरमान ने मुझे फॉलो क्यों नहीं किया अभी तक... लगता है तुम नहीं चाहते कि तुम्हारी दिव्या पुरे कॉलेज की सबसे पॉपुलर लड़की बने... कितनी छोटी सोच है तुम्हारी... छी :

अरुण - Goodbye
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"साले दोनो कितना बोरिंग बाते करते है "मैने अरुण की आइडी लॉगआउट की लेकिन जैसे मुझे कुछ  याद आया और मैने तुरंत अपनी id से लॉगिन करके दिव्या की आइडी ओपन की.....

"दिव्या श्रीवास्तव ....इसका सरनेम तो श्रीवास्तव है...ये तो फिर भी ठीक है...लेकिन जो मैं सोच रहा हूँ, वो ना हो " लेकिन मेरी सोच तब सच हो गयी जब दिव्या की आइडी मे मैने फॅमिली ऑप्षन मे गौतम(ब्रदर) की आइडी देखी....

"गये बेटा काम से...दिव्या तो गौतम की बहन है ,ये अरुण भी एक नंबर का लंठ है,जो गौतम की बहन को सेट कर रहा है....पिटेगा साला..."

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